सोशल मीडिया कंपनी META ने अपने CEO मार्क जुकरबर्ग के एक बयान पर माफी मांग ली है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “कोरोना के बाद भारत में मोदी सरकार लोकसभा चुनाव हार गई।” यह बयान सोशल मीडिया पर विवाद का कारण बना और सरकार के खिलाफ गलत तथ्य पेश करने का आरोप लगाया गया।
क्या कहा था जुकरबर्ग ने?
मार्क जुकरबर्ग ने एक पॉडकास्ट में कहा था कि,
“कोरोना महामारी के बाद दुनिया भर में मौजूदा सरकारें जनता के भरोसे को खोने लगीं। भारत में भी लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार हार गई।”
विवाद कैसे बढ़ा?
- जुकरबर्ग के इस बयान पर संसद की IT समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कड़ी आपत्ति जताई।
- दुबे ने कहा कि यह बयान न केवल झूठा और भ्रामक है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश है।
- उन्होंने चेतावनी दी कि यदि META ने माफी नहीं मांगी तो “समिति मानहानि का नोटिस भेजेगी।”
META इंडिया की माफी
META इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट शिवनाथ ठुकराल ने बुधवार को बयान जारी कर कहा:
“यह पूरी तरह से एक लापरवाही थी। मार्क जुकरबर्ग ने कहा था कि कोरोना के बाद कई मौजूदा सरकारें गिर गईं, लेकिन ऐसा भारत में नहीं हुआ। हम इस गलती के लिए माफी मांगते हैं। भारत META के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और हम अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेते हैं।”
भारत में META की भूमिका
भारत META के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। कंपनी के लिए यहां की राजनीति और जनता का भरोसा बेहद अहम है। इस माफी के जरिए META ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि वह भारत सरकार और जनता का सम्मान करता है।
निष्कर्ष
इस विवाद ने दिखाया कि वैश्विक कंपनियों को भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों के राजनीतिक और सामाजिक संदर्भों को समझते हुए जिम्मेदारी से बयान देने की जरूरत है।